Essay on Save Water in Hindi | जल संरक्षण | Essay Writing in Hindi |
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Essay on Save Water in Hindi | जल संरक्षण | Essay Writing in Hindi |
प्रस्तावना
क्यों नीर बहाते व्यर्थ हो ,
करते क्यों घोर अनर्थ हो |
यह नीर न होगा धरती पर ,
तो जीव न होगा धरती पर ||
मनुष्य तथा सभी जीव- जंतुओं एवं वनस्पतियों के जीवन के लिए वायु के बाद जल परम आवश्यक तत्व है, यदि धरती पर जल नहीं होगा तो जीव – धारियों का नामोनिशान तक नहीं होगा | यद्यपि धरती के लगभग तीन – चौथाई भाग पर जल विद्यमान हैं, परंतु इसमें अधिकांश जल की मात्रा महासागरीय एवं क्षारीय है, जो पीने योग्य नहीं है | पीने योग्य मीठे जल की मात्रा धरती पर बहुत सीमित है| अतः यदि धरती पर जीवन को बचाना है तो इस सीमित जल संसाधन का विवेकपूर्ण सदुपयोग करना सीखना ही होगा | पानी का विवेकपूर्ण सदुपयोग एवं अनावश्यक बर्बादी को रोकना ही जल संरक्षण कहलाता है|
प्राचीन काल में जल संरक्षण
मनुष्य ने अपनी आदिम अवस्था से ही जीवन के लिए जल की आवश्यकता को भलीभांति समझ लिया था | यही कारण है कि उसने अपनी विकास की आरंभिक अवस्था में ही जल को देवता का स्थान देकर, उसे उचित सम्मान एवं संरक्षण देने का प्रयास किया | नदियों एवं जल – स्रोतों को दूषित होने से बचाने के लिए इनके किनारे धार्मिक स्थानों का निर्माण करवाया और नदियों को माताओं की संज्ञा दे दी | प्राकृतिक रूप से होने वाली बारिश के जल को संरक्षित करने के लिए प्राचीन काल में को बावड़ियों, तालाबों तथा कृत्रिम झीलों का निर्माण करवाया गया और उनके माध्यम से अनावश्यक बह जाने वाले जल को संरक्षित करने का प्रयास किया गया | इस प्रकार प्राचीन काल में मनुष्य जल का विवेकपूर्ण सदुपयोग करता था और साथ ही इसके महत्व को जानते हुए इस को निरंतर संरक्षित करने का प्रयास भी करता था |
जल संकट के कारण
तीव्र गति से हो रही जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य को खेती-बाड़ी तथा अपनी दिन – प्रतिदिन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जल की अधिक आवश्यकता महसूस होने लगी और मनुष्य ने नलकूपों के माध्यम से अपनी जल संबंधी आवश्यकता को पूरा करना शुरू कर दिया | धीरे-धीरे औद्योगिकीकरण के विकास के साथ-साथ कल- कारखानों में भी जल की आवश्यकता पड़ने लगी और मनुष्य ने जल का अंधाधुंध दोहन करना शुरू कर दिया | साथ ही मनुष्य ने प्राकृतिक जल स्रोतों जैसे नदियों, तालाबों, बावड़ियों आदि की भूमि का अतिक्रमण भी करना शुरू कर दिया | जिसके कारण एक और तो भूमिगत जल – स्रोतों का दोहन तेजी से बढ़ा और दूसरी ओर बारिश से प्राप्त होने वाले जल का संरक्षण नहीं हो पाय़ा जिसके कारण पृथ्वी पर धीरे-धीरे जल संकट पैदा होना शुरू हो गया और आज स्थिति यह है कि दुनियाभर में ऐसे अनेक स्थान हैं, जहां लोगों को पीने के लिए पानी भी उपलब्ध नहीं है और वहां के निवासियों को या तो पेयजल के लिए दूर-दूर से व्यवस्था करनी होती है और या उन स्थानों से पलायन कर जाना पड़ा है | इस कारण जल संकट के चलते कभी आवाज रहने वाली बस्तियां आज वीरान और निर्जन हो रही हैं |
वर्तमान में जल संरक्षण की आवश्यकता
यदि समय रहते हमने जल के महत्व को नहीं समझा और इसे संरक्षित करने की दिशा में उचित एवं कारगर प्रयास आरंभ नहीं किए, तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर जल के लिए त्राहि-त्राहि मच जाएगी | आज भूमि एवं धन को हथियाने के लिए होने वाले युद्ध भविष्य में जल – स्रोतों को हस्तगत करने के लिए होने लगेंगे और धीरे-धीरे हरे-भरे एवं जन आबादी से युक्त स्थान निर्जन और सूखे पड़कर मरुस्थल में तब्दील होने लगेंगे | अतः यदि हमें भविष्य की इस भयावह कल्पना को साकार होने से रोकना है, तो हमें जल के विवेकपूर्ण उपयोग एवं इसके संरक्षण को अपनाना होगा |
जल संरक्षण के उपाय
जल संरक्षण के लिए हम निम्नलिखित उपायों को काम में ले सकते हैं |
- जल के अंधाधुंध दोहन की प्रवृत्ति को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए |
- जल स्रोतों को दूषित करने से बचना चाहिए |
- बारिश के जल को संरक्षित करने के लिए घरों एवं खेतों में टांको और बावड़ियों का निर्माण करवाना चाहिए |
- वृक्षारोपण पर बल देना चाहिए ,क्योंकि वृक्ष वर्षा करवाने में सहायक होते हैं |
- सिंचाई हेतु खुला पानी देने के स्थान पर बूंद – बूंद सिंचाई तथा फव्वारे द्वारा सिंचाई को महत्व देना चाहिए |
- घरों एवं कल – कारखानों से निकलने वाले दूषित जल को संशोधित करके सिंचाई एवं उपयोग के योग्य बनाना चाहिए |
उपसंहार
जल प्रकृति का अनमोल उपहार है, जिसकी तुलना अमृत से की जाती है परंतु मनुष्य ने अपने अविवेकपूर्ण और अंधाधुंध जल के दोहन के चलते इस प्राकृतिक तत्व पर संकट खड़ा कर दिया है | यदि अभी भी हम समय रहते इसके महत्व को पहचान कर इसके संरक्षण एवं विवेकपूर्ण उपयोग की आदत को अपनाने में असफल रहे तो हमारी भावी – पीढ़ियों को जल के महान संकट का सामना करना पड़ सकता है और जल संकट के चलते पृथ्वी पर जीवन के विनाश की परिस्थिति पैदा हो सकती है | अतः हम सभी को मिलकर यह प्रण लेना चाहिए कि आज से ही हम जल को व्यर्थ बहाने से बचेंगे तथा जल संरक्षण के लिए जो कुछ भी योगदान हम दे सकते हैं, उसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से देने का प्रयास करेंगे |
# Essay on Save Water in Hindi
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