An Essay on Environment in Hindi | Paryavaran Essay in Hindi |

5
(1)

An Essay on Environment in Hindi | Paryavaran Essay in Hindi |      

पर्यावरण और मनुष्य

प्रस्तावना

पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है परि + आवरण | परि का अर्थ है चारों ओर का तथा आवरण का अर्थ है ढका हुआ या छाया हुआ,अर्थात हमारे चारों ओर का प्राकृतिक परिवेश पर्यावरण कहलाता है जिसमें मिट्टी,वायु ,नदियां ,पर्वत  , वनस्पतियां आदि सभी प्राकृतिक तत्व शामिल होते हैं |

पर्यावरण की मानव जीवन में भूमिका 

आदिकाल से ही मनुष्य और प्रकृति का घनिष्ठ संबंध रहा है | प्रकृति मनुष्य को विधाता की ओर से एक वरदान के रूप में मिली है , जिसने अनादि काल से मनुष्य के जीवन को प्रभावित किया है | यही कारण है कि मनुष्य ने प्रकृति को अपने विकास की आरंभिक अवस्था से ही सम्मान देना शुरू कर दिया था | आदि काल में मनुष्य प्रकृति पूजक रहा था, जो यह जानता था कि उसके जीवन में प्रकृति का क्या स्थान है ? यही कारण था कि वह नदियों, पर्वतों, वृक्षों , जल स्रोतों , वायु  आदि को देवी – देवताओं के रूप में देखता था और उनकी पूजा करके अपनी श्रद्धा ,अपनी आस्था उनके प्रति व्यक्त करता था | मनुष्य को जीवन यापन के लिए  जिस किसी वस्तु की आवश्यकता पड़ती है ,वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसी प्रकृति की गोद से उसे प्राप्त होती है |  इस प्रकार प्रकृति का मानव जीवन पर बहुत बड़ा ऋण है |

पर्यावरण प्रदूषण और मनुष्य

भौतिक सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य एवं प्रकृति का संबंध क्षीण पड़ने लगा है | मनुष्य  ने अपने लालच में  प्रकृति का अंधाधुंध दोहन करना शुरू कर दिया, वृक्षों की कटाई शुरू कर दी, पर्वतों को नष्ट कर दिया तथा नदियों एवं समुद्रों की भूमि का अतिक्रमण कर लिया | मनुष्य ने अपनी क्रियाओं से  प्रकृति एवं प्रकृति की गोद में बसे विभिन्न जीव – जंतुओं के लिए संकट पैदा कर दिया है | आज वायु प्रदूषण, भू प्रदूषण ,जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि सभी मनुष्य की ही देन है | जिनसे प्रकृति को बहुत तेजी से नुकसान पहुंच रहा है I

पर्यावरण प्रदूषण के दुष्परिणाम 

जो प्रकृति अनादि काल से मनुष्य के लिए  सौम्य स्वरूपा बनी हुई थी, वही आज रौद्र रूप धारण करके मानव प्रजाति में हाहाकार मचा रही है | प्राकृतिक असंतुलन के कारण  कहीं भूकंप आ रहे हैं, कहीं ज्वालामुखी विस्फोट हो रहे हैं, कहीं बाढ़ आ रही है तो कहीं सूखा पड़ रहा है और साल दर साल नए-नए रोग एवं महामारी  जन्म  ले रही हैं | वर्तमान का कोरोना संकट मनुष्य के द्वारा प्रकृति से छेड़छाड़ का ही परिणाम है |

पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता

यदि हमें प्रकृति को फिर से उसके कल्याणकारी स्वरूप में देखना है तो हमें प्रकृति संरक्षण पर ध्यान देना ही होगा | हमें अधिक से अधिक मात्रा में वृक्ष लगाने होंगे, नदियों एवं जल स्रोतों को दूषित करने से बचना होगा, अनावश्यक प्राकृतिक तत्वों के दोहन की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना होगा तथा प्रकृति को हमारे वैदिक ऋषि – मुनियों की भांति पुनः यथेष्ट सम्मान देना होगा |

प्रकृति संरक्षण में युवा वर्ग की भूमिका 

युवा वर्ग किसी भी समाज का महत्वपूर्ण वर्ग होता है, जिसमें कार्य करने का जोश एवं उत्साह होता है I यह समाज को एक नई दिशा दे सकता है | आज युवाओं को प्रकृति का महत्व समझना चाहिए और प्रकृति संरक्षण के उपायों पर अधिक से अधिक बल देना चाहिए |  न केवल उन्हें स्वयं प्रकृति संरक्षण में लग जाना चाहिए अपितु दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करने का कार्य करना चाहिए |

उपसंहार

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि पर्यावरण हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है और यदि हमें अपने जीवन को खुशहाल बनाना है तथा मानव प्रजाति को विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से बचाना है  तो, हमें पर्यावरण के संरक्षण पर ध्यान देना ही होगा | इस कार्य में सरकार, समाज तथा युवा वर्ग सभी को अपनी हिस्सेदारी देनी होगी | अन्यथा वह समय दूर नहीं होगा जब प्रकृति रौद्र रूप धारण करके  संपूर्ण मानव प्रजाति को काल के मुख्य में धकेल देगी | इसलिए हमें मानव प्रजाति को बचाना है, अपने अस्तित्व को बचाना है, तो हमें प्रकृति को बचाना ही होगा |

#An Essay on Environment in Hindi

Read Other Essays in Hindi

  1. Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
  2. Essay on Solar Energy in Hindi
  3. Essay on Women’s Education in Hindi
  4. Essay on Child Marriage in Hindi
  5. Essay on Child Labour in Hindi
  6. Essay on Environment in Hindi
  7. Essay on Teacher in Hindi

Do share this post if you liked An Essay on Environment in Hindi. For more updates, keep logging on BrainyLads.

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 5 / 5. Vote count: 1

No votes so far! Be the first to rate this post.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!