लेखिका ने अपनी यात्रा की इस कहानी का प्रारम्भ उस समय से किया है, जब वो गंगटोक पहुंची और रात्रि में गंगटोक में आसमान के नीचे से असंख्य तारो को देखती है और देखती ही रह जाती है। तारों के उस दृश्य में उस पल लेखिका को तारों के साथ कुछ अलग सा महसूस होता
एक बार इग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने अपने पति के साथ भारत के दौरे का मन बनाया और अपने इस दौरे की सूचना भारत सरकार को भिजवा दी। उनके आगमन की चर्चा रोज लन्दन के अखबारों में हो रही थी और जोर शोर से उनके भारत के दौरे की तैयारियां चल रही थी |
माता का आंचल कहानी आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई है| जिसमें लेखक शिवपूजन सहाय अपने ही बचपन की घटनाओं का जिक्र करते हुए यह बता रहे हैं कि एक बच्चे के लिए उसकी माता के आंचल से सुरक्षित स्थान कोई नहीं हो सकता है I जब बच्चा सबसे अधिक अधिक भयभीत होता है तो वह सभी
"मानवीय करुणा की दिव्य चमक” पाठ के लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना हैं। इस पाठ में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने यूरोप के बेल्जियम नामक स्थान में जन्मे 'फादर कामिल बुल्के' के व्यक्तित्व और जीवन का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। फादर कामिल बुल्के एक ईसाई धर्म के संत थे लेकिन वो आम साधु - सन्यासियों
लखनवी अंदाज कहानी के लेखक यशपाल हैं। यशपाल का जन्म सन 1903 में पंजाब के फिरोजपुर छावनी में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कांगड़ा में में रहकर प्राप्त की और उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से बी.ए की शिक्षा पूर्ण की । यहीं रहते हुए उनका परिचय भगत सिंह और सुखदेव से हुआ जो कि
प्रस्तुत कविता में कवि ऋतुराज ने माँ और बेटी के बीच के भावनात्मक एवं मार्मिक संबंध का चित्रण किया है । एक मां के लिए उसकी बेटी उसका पूरा संसार होती है और उसकी जीवन भर की समस्त संचित पूँजी होती है एक मां अपनी बेटी को अपने सारे संस्कार देते हुए उसका पालन-पोषण बड़े
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (1899-1961) हिंदी साहित्य के एक महान कवि थे जिन्होंने न केवल काव्य अपितु गद्य लेखन में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हुए उपन्यास, कहानियां और अनेक लेख लिखें l परंतु उनकी वास्तविक प्रसिद्धि उनके कविता लेखन के कारण ही है l वे छायावादी युग के चार स्तंभ कवियों में से एक माने जाते