सूर्यकांत त्रिपाठी निराला उत्साह अट नहीं रही है | हिंदी अ | कक्षा 10 | पाठ 5 |

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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | उत्साह | अट नहीं रही है | हिंदी अ | कक्षा 10 | पाठ 5 |

Suryakant Tripathi Nirala | Utsah | At Nahi Rahi Hai | Hindi | Course A | Chapter 5 | Class 10 |

कवि परिचय

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (1899-1961)  हिंदी साहित्य के  एक महान कवि थे  जिन्होंने न केवल काव्य अपितु गद्य लेखन में भी  महत्वपूर्ण योगदान देते हुए उपन्यास, कहानियां  और  अनेक  लेख लिखें  l परंतु उनकी वास्तविक प्रसिद्धि उनके कविता लेखन के कारण ही है l वे छायावादी युग के चार स्तंभ कवियों में से एक  माने जाते हैं । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला भारत के ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के एक विख्यात कवि हैं  और  एक बहुत ही विख्यात रेखा चित्रकार भी थे।

निराला जी का आरंभिक जीवन  संघर्ष एवं कठिनाइयों में बीता  निराला ने कम आयु में ही अपने माता -पिता ,भाई- भाभी, पत्नी और पुत्री को खो दिया l इस प्रकार निराला ने जीवन में पग-पग पर  दुख एवं कठिनाइयों का सामना किया परंतु उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और अपनी विषम परिस्थितियों के बावजूद  अपनी उत्कृष्ट कविताओं के माध्यम से वे केवल स्वयं को प्रेरित करने का प्रयास किया अपितु समाज को भी प्रेरणा देने का कार्य किया  l

निराला की प्रसिद्ध रचनाएं – परिमल, गीतिका, कुकुरमुत्ता, नए पत्ते, बेला, सरोज स्मृति आदि

काव्य के विषय – निराला  ने दार्शनिकता, विद्रोह, क्रांति, प्रेम, प्रकृति चित्रण  तथा जीवन के संघर्ष को लेकर  कविताएं लिखी हैं l उनकी कविताएं जनमानस को झकझोर कर  विषम परिस्थितियों से लड़ने एवं संघर्ष करने की प्रेरणा देती है  सूर्यकांत त्रिपाठी   निराला को मुक्त छंद का प्रवर्तक माना जाता है

उत्साह

भावार्थ

 इस कविता को कवि ने  उस समय लिखा था जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था  और भारतीयों के मन में हताशा ,निराशा और कुंठा घर कर गई थी l तब  निराश और हताश  लोगों में उत्साह जगाने के लिए कवि एक ऐसे कवि को  आह्वान  कर रहे हैं ,जो अपनी कविता से लोगों  में जोश और देशभक्ति की भावना भर कर उनका  उनका खोया हुआ आत्मविश्वास दुबारा लौटा सके।

ठीक वैसे ही जैसे भीषण गर्मी के बाद आकाश में बादलों को देखकर लोगों के मन में एक नई आशा , नये उत्साह का संचार हो जाता हैं। और बादलों के बरसने से धरती में नया अंकुर फूटने लगता हैं।और आसमान में बादलों को देखकर गर्मी से बेहाल लोगों का तन-मन भी आनंद से भर जाता है ।

 कवि का मानना है कि आज तक दुनिया में जितनी भी क्रांतियां हुई या परिवर्तन हुए हैं , उनमें साहित्य और साहित्यकारों का बहुत बड़ा योगदान रहा हैं। भारत  की स्वाधीनता  के लिए निराला  लेखकों  और  कवियों   से आह्वान  करते हैं कि उन्हें  अपनी लेखनी से  लोगों को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत  करके  उनमे जोश और  उत्साह  भर देना चाहिए ।

बादल , गरजो !

घेर घेर घोर गगन , धाराधर ओ !

कवि बादलों से कह रहा हैं कि हे बादल ! तुम जोरदार गर्जना (जोरदार आवाज करना ) करो। और आकाश को चारों तरफ से , पूरी तरह से घेर लो यानि इस पूरे आकाश में छा जाओ और फिर जोरदार तरीके से बरसो। क्योंकि यह समय शान्त होकर बरसने का नहीं हैं। इसलिए तुम अपनी गर्जना से सोये हुए लोगों को जागृत करो , उनके अंदर एक नया उत्साह ,एक नया जोश भर दो।

ललित ललित , काले घुंघराले ,

बाल कल्पना के-से पाले ,

विद्युत छबि उर में , कवि नवजीवन वाले !

वज्र छिपा , नूतन कविता फिर भर दो –

बादल गरजो !

यहां पर कवि ने बादलों की तुलना किसी छोटे बच्चे की कल्पना से की हैं। कवि कहते हैं कि सुंदर-सुंदर , काले घुंघराले बादल , तुम किसी बच्चे की कल्पना के जैसे हो।  जिस तरह छोटे बच्चों की कल्पनाएं  पल-पल बदलती रहती हैं। हर पल उनके मन में नई-नई बातें या कल्पनाएं जन्म लेती है। ठीक उसी प्रकार तुम भी हर पल अपना रूप बदल रहे हो।

कवि आगे कहते हैं कि बिजली की ऊर्जा  अपने हृदय में  भरने वाले सुंदर काले घुंघराले बादलो , तुम उस कवि  के जैसे हो , जो एक नई कविता रचकर उथल- पुथल मचा  देता है ।

जिस प्रकार  बादल नवजीवन देते हैं  इसी प्रकार एक कवि भी  निराश और हताश  लोगों में एक नव चेतना एवं उत्साह को जन्म देता है l

विकल विकल , उन्मन थे उन्मन

विश्व के निदाघ के सकल जन ,

आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन !

तप्त धरा , जल से फिर

शीतल कर दो

बादल , गरजो !

कवि कहते हैं कि विश्व के सभी लोग अत्यधिक गर्मी के कारण बेहाल हैं , व्याकुल हैं और उनका मन कहीं नहीं लग रहा हैं । ऐसे मे हे बादलों ! तुम अज्ञात दिशा से  आकर पूरे आकाश पर छा जाओ और घनघोर वर्षा करके  , तपती धरती को अपने जल से शीतल कर दो। बादल तुम जोरदार आवाज के साथ गरजो और लोगों में नया उत्साह भर दो।  वर्षा के बाद लोगों भीषण गर्मी से राहत पाते हैं। और उनका मन फिर से नये उत्साह व उमंग से भर जाता है।

NCERT Solutions for उत्साह 

उत्साह (पाठ्यपुस्तक के प्रश्न उत्तर)

प्रश्न 1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के लिए कहता है, क्यों?

 उत्तर – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को विद्रोही कवि के रूप में जाना जाता है  I जो समाज में आमूल – चूल परिवर्तन ला देना चाहते थे  I वे गुलाम भारत के लोगों   में उत्साह और जोश भर कर , उन्हें आजाद होने के लिए प्रेरित करना चाहते थे I इसलिए उन्होंने अपनी कविता में बादलों से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने का आग्रह किया है I  क्योंकि गर्जना जोश और उत्साह का प्रतीक होता है I वे चाहते हैं कि बादल गरजे और जन – जन के मन में आक्रोश  की भावना का संचार कर दें I

प्रश्न 2. कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?

उत्तर-  कवि भारत में  क्रांति और बदलाव को जन्म देना चाहते हैं I वे  बादलों की गर्जना को स्वाधीनता की हुंकार के रूप में चित्रित करना चाहते हैं और बादलों की गर्जना के  माध्यम से वे भारतीयों के मन में राष्ट्रभक्ति का संचार कर , उन्हें जोश और उन्माद से भर देना चाहते हैं I इसलिए उन्होंने इस कविता का शीर्षक उत्साह रखा है I यह शीर्षक यह दिखाता है  कि कवि निराला सदियों से  गुलाम भारतीयों के मन में  एक नया उत्साह जगा कर , उन्हें आजादी के लिए प्रेरित करना चाहते हैं I

प्रश्न 3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?

उत्तर- कविता में बादल निम्नलिखित  अर्थो  की ओर संकेत करता है –

  • पल-पल बदलने वाली बाल कल्पनाओं की ओर
  • हृदय  में क्रांति की भावना लिए व्यक्ति की ओर
  • नवजीवन का सृजन करने वाले सृजनहार  की ओर
  • अशांत एवं अतृप्त  लोगों को तृप्त करने वाले की ओर
  • जोश और उन्माद भरकर क्रांति को जन्म देने वाली शक्ति की ओर

 प्रश्न 4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद हैं, छाँटकर लिखें।

उत्तर –  उत्साह कविता में निम्नलिखित स्थानों पर नाद सौंदर्य की अभिव्यक्ति हो रही है –

* घेर घेर घोर गगन , धाराधर ओ

* ललित ललित , काले घुंघराले ,

   बाल कल्पना के-से पाले

* वज्र छिपा , नूतन कविता

   फिर भर दो 

   बादल गरजो !

* विकल विकल , उन्मन थे उन्मन

  विश्व के निदाघ के सकल जन

* तप्त धरा , जल से फिर

  शीतल कर दो

  बादल , गरजो !

अन्य़  महत्वपूर्ण  प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.  कवि बादलों से संपूर्ण नभ पर छा जाने का आग्रह क्यों कर रहा है ?

उत्तर –  कवि बादलों से संपूर्ण नभ  पर छा जाने का आग्रह इसलिए कर रहा है, जिससे धरती का कोई भी हिस्सा प्यासा या अतृप्त न रहे | अर्थात भारत के जन – जन के मन में उत्साह एवं  जोश की भावना भरी जा सके और कोई भी भारतीय हताश और निराश ना रहे |

प्रश्न 2.  कवि ने बादलों की तुलना बाल कल्पना से क्यों की है ?

उत्तर-  बच्चों में प्रबल कल्पना शक्ति पाई जाती है | उनकी कल्पना पल-पल परिवर्तित होती रहती हैं | उसी प्रकार  आसमान में  उमड़ते – घुमड़ते  बादल भी पल – पल अपना रूप बदलते रहते हैं | इसीलिए कवि ने  बादलों की तुलना बाल कल्पना से की है |

प्रश्न 3.  निराला ने बादलों को नवजीवन वाला  कवि क्यों कहा है ?

उत्तर- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का यह मानना है कि  जिस कवि के हृदय में  समाज में बदलाव या क्रांति लाने की भावना छिपी होती है , वही कवि ऐसी कविता का सृजन कर सकता है जो लोगों को उनकी निराशा एवं हताशा से निकालकर  उन्हें आशा एवं उत्साह से भर सकें | उसी प्रकार बादलों में भी बिजली छिपी होती है और वे भयंकर गर्जना करके जन-जन के मन  मे  सिंहरन पैदा कर देते हैं  | परंतु यही बादल बरस कर नवजीवन के अंकुरण का आधार भी बनते हैं | इसलिए कवि ने बादलों की तुलना  नवजीवन वाले कवि से की है |

 प्रश्न 4. उत्साह कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में  लिखिए |

 उत्तर –  उत्साह कविता के माध्यम से कवि  सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला ‘ अपने समकक्ष कवियों से  आग्रह कर रहे हैं  कि कवियों का कर्म केवल कविता रचना करना नहीं अपितु समाज में बदलाव लाना भी होता है|  अतः उन्हें कुछ ऐसी कविताओं की रचना करनी चाहिए जिनसे हताश, निराश और कुंठित भारतीयों को उनकी हताशा, निराशा और कुंठा से बाहर निकाला जा सके और उनमें राष्ट्रभक्ति की भावना का संचार कर जोश और उन्माद भरा जा सके| अतः कवियों को अपनी कविताओं के माध्यम से  देश की आजादी की इबारत लिखने का प्रयास करना चाहिए |

अट नहीं रही है

भावार्थ

यह कविता फाल्गुन मास की सुंदरता एवं भव्यता को प्रदर्शित करती है | कवि का यह  मानना है कि जब मनुष्य का चित्त प्रसन्न होता है तो उसे  चारों और सुंदरता एवं रंगों का आभास होने लगता है |

अट नहीं रही है

आभा फागुन की तन

सट नहीं रही है

कहीं साँस लेते हो,

घर-घर भर देते हो,

उड़ने को नभ में तुम

पर-पर कर देते हो,

आँख हटाता हूँ तो

हट नहीं रही है।

इस कविता में कवि ने वसंत ऋतु की सुंदरता का  चित्रण करते हुए कह रहा है कि वसंत ऋतु का आगमन हिंदी के फागुन महीने में होता है। ऐसे में फागुन की आभा इतनी अधिक है कि वह कहीं समा नहीं पा रही है। वसंत जब साँस लेता है तो उसकी खुशबू से हर घर भर उठता है। कभी ऐसा लगता है कि बसंत आसमान में उड़ने के लिए अपने पंख फड़फड़ाता है। कवि उस सौंदर्य से अपनी आँखें हटाना चाहता है लेकिन उसकी आँखें हट नहीं रही हैं।

पत्तों से लदी डाल

कहीं हरी, कहीं लाल,

कहीं पड़ी है उर में

मंद गंध पुष्प माल,

पाट-पाट शोभा श्री

पट नहीं रही है।

वृक्षों की शाखाएं  नए-नए पत्तों से  सज गई हैं, जो कई रंगों के हैं। कहीं-कहीं पर कुछ पेड़ों के गले में लगता है कि भीनी‌-भीनी खुशबू देने वाले फूलों की माला लटकी हुई है। हर तरफ सुंदरता बिखरी पड़ी है और वह इतनी अधिक है कि धरा पर समा नहीं रही है।

NCERT Solutions for अट नहीं रही है

अट नहीं रही है

(पाठ्यपुस्तक के प्रश्न उत्तर)

प्रश्न 1. छायावाद की एक खास विशेषता है अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।

उत्तर: कविता कीं निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है कि प्रस्तुत कविता में अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाया गया है:

आभा फागुन की तन,

सट नहीं रही है।

और

कहीं सांस लेते हो,

घर-घर भर देते हो,

 उड़ने को नभ में तुम,

पर पर कर देते हो,

आँख हटाता हूँ तो,

हट नहीं रही है।

प्रश्न 2. कवि की आंख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?

उत्तर:  कवि की आंख फागुन की सुंदरता से इसलिए नहीं हट रही है क्योंकि फाल्गुन मास प्रकृति के श्रृंगार की ऋतु होती है | इस ऋतु में चारों और हरियाली छाई रहती है,  रंग बिरंगे फूल खिले रहते हैं ,वृक्षों पर नए पत्ते आ जाते हैं  तथा मन को आनंदित कर देने वाली धीमी – धीमी सुगंधित हवा बहती रहती है |  ऐसे में व्यक्ति का मन प्रेम और आनंद से भर उठता है तथा वह इस ऋतु की प्राकृतिक सुंदरता में पूरी तरीके से खो जाता है |

प्रश्न 3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया हैं ?

उत्तर –प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन निम्नलिखित  रूपों में किया हैं-

1 .  फाल्गुन मास में नए पत्तों और फूलों के आने से ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रकृति सज – संवर रही हो |

2 .  इस ऋतु में रंग बिरंगे फूलों की मनमोहक महक से सारा वातावरण महक उठता है |

  1. चारों और हरियाली छा जाने से प्रकृति के सौंदर्य में चार चांद लग गए हैं |
  2. प्रकृति ने ऐसा सुंदर एवं मनोहारी स्वरूप धारण कर लिया है कि कवि की आंखें चाह कर भी इस प्राकृतिक सौंदर्य से हट नहीं पा रही हैं |

प्रश्न 4.फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है ?

उत्तर- फाल्गुन मास  का आगमन  पतझड़ ऋतु के बाद होता है | जहां पतझड़ ऋतु में वृक्ष अपने पुराने पत्तों और फूलों को त्याग कर सूखे ठूंठ से प्रतीत होते हैं , वहीं फाल्गुन मास  में ऋतुराज वसंत के आगमन  के साथ  वृक्ष एवं लताएं नए-नए रंग-बिरंगे पत्तों और फूलों से सुसज्जित हो उठती हैं| चारों और हरियाली छा जाती है और फूलों की मंद – मंद गंध वातावरण में घुल जाती है | यह ऋतु न केवल  मनुष्यों में अपितु पशु – पक्षियों तक के मन को आनंद एवं अनुराग से भर देती है | इसीलिए यह ऋतु बाकी ऋतुओं से भिन्न मानी जाती है I

प्रश्न 5 .इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर –“उत्साह” और “अट नहीं रही हैं ” , दोनों कविताओं  के आधार पर निराला के काव्य की विशेषताएं  निम्नानुसार हैं 

  • इन कविताओं में कवि निराला ने  तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली हिंदी का प्रयोग किया है |
  • दोनों कविताओं की रचना छंद मुक्त शैली में की गई है |
  • कवि ने अनुप्रास उपमा  पुनरुक्ति प्रकाश  तथा मानवीकरण अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया है |
  • प्रकृति का बहुत सुंदर एवं सूक्ष्म चित्रण हुआ है |
  • कवि ने प्रकृति के लिए नूतन बिंब विधान की रचना करते हुए वीर एवं श्रृंगार रस का सुंदर प्रयोग किया है |

 प्रश्न 6 .होली के आसपास प्रकृति में  जो परिवर्तन दिखाई देते हैं उन्हें लिखिए ?

उत्तर –होली फागुन माह में आती हैं जो अंग्रेजी कैलेंडर के आधार पर फरवरी या मार्च का महीना होता है।  और ठीक इसी माह भारत में ऋतुराज बसंत का आगमन भी होता है। यह ऋतु प्रकृति के  श्रृंगार  की ऋतु मानी जाती है | इस ऋतु में बाग बगीचे , खेत खलिहानों में चारों तरफ  फूल खिलने लगते हैं। वृक्षों की शाखाएं नए-नए पत्तों और फूलों से लद जाती हैं | भंवरे और तितलियां फूलों पर मंडराने लगती हैं | दिन बड़े होने लगते हैं तथा ठंड का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगता है | फसलें पक कर तैयार हो जाती है, जिससे किसानों का मन हर्ष और आनंद से भर उठता है |

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न  उत्तर

प्रश्न 1.  ‘अट नहीं रही है ‘ कविता में किस ऋतु के प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण किया गया है ?

उत्तर – ‘अट नहीं रही है’ कविता में फाल्गुन मास में आने वाली  वसंत ऋतु के मनोहारी प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण किया गया है |

प्रश्न 2.  “उड़ने को  नभ में  पर – पर कर देते हो ” पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?

उत्तर – इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि वसंत ऋतु के आगमन के साथ साथ प्रकृति  सौंदर्य से भर उठती है  और यह  सौंदर्य  सभी के मन को मंत्रमुग्ध कर देता है | प्रत्येक प्राणी के मन में कार्य करने का एक नया उत्साह एवं ऊर्जा भर जाती है और इस प्रकार ऐसा प्रतीत होने लगता है जैसे मन को पंख लग गए हो और वह उन्मुक्त गगन में विचरण कर रहा हो |

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